डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं “भावना के दोहे …”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 142 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे … ☆
चलते – चलते थकें नहीं, बस इतनी सी आस।
सर पर इतना बोझ है, तनिक नहीं अहसास।।
सुख – दुख जीवन में बहुत, रहते अक्सर खास।
जिम्मेदारी का हमें, होता है अहसास।।
करते है हम कामना, बदले कभी न भाव ।
सेवा करना धर्म है, आए नहीं दुर्भाव।।
परेशानी है जीवन में, जीवन इसका नाम।
चलना है रुकना नहीं, नहीं करना आराम।
© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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