डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं “भावना के दोहे …मेहंदी ”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 143 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे …मेहंदी ☆
रंग उभर कर आ गया, लगी मेंहदी हाथ।
इसकी चमक बता रही, है पिया का साथ।।
रंग लाल उसका हुआ, करे पिया जो याद।
कब आओगे सामने, यही करे फरियाद।।
सावन में गोरी करे, मेंहदी का श्रृंगार।
मेंहदी रची हाथ में, यही पिया का प्यार।।
सावन में आए सभी, तीज और त्योहार।
मेंहदी रची हाथ में, यही सजन का प्यार।।
संग सहेली बैठकर, भरे हाथ में रंग।
याद पिया को कर रही, रहने आओ संग।।
© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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