श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “# सावन का महीना है… #”)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 93 ☆
☆ # सावन का महीना है… # ☆
सावन का महीना है
अब तो तुम आ जाओ
तपती हुई देह में
बूंदे आग लगाती हैं
बह रहा है लावा भीतर
अंदर ही अंदर झुलसाती हैं
अपने शीतल जल से तुम
लावे को राख बना जाओ
सावन का महीना है
अब तो तुम आ जाओ
काले काले मेघ
गगन पे कैसे छाये हैं
प्यासी धरती की
प्यास बुझाने आये हैं
रिमझिम रिमझिम बूंदें बन
तुम मेरी प्यास बुझा जाओ
सावन का महीना है
अब तो तुम आ जाओ
सावन में तुम आओगे
मुझे इंतज़ार तुम्हारा है
भीगेंगे अपने तन मन
मुझे एतबार तुम्हारा है
देखो बीत रहा सावन
आकर गले लगा जाओ
सावन का महीना है
अब तो तुम आ जाओ /
© श्याम खापर्डे
फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो 9425592588
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈