श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी  के साप्ताहिक स्तम्भ  “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है “मनोज के दोहे। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।

✍ मनोज साहित्य # 45 – मनोज के दोहे

1 आरंभ

करें कार्य आरंभ शुभ, लेकर प्रभु का नाम।

मिले सफलता आपको, पूरण होते काम।।

2 प्रारब्ध

मिलता है सबको वही, लिखता प्रभु प्रारब्ध

अधिक न इससे पा सके,कितना हो उपलब्ध।।

3 आदि

आदि शक्ति दुर्गा बनीं, जग की तारण हार।

शत्रुदलन कलिमल हरण, रक्षक पालनहार।।

4 अंत

अंत भला तो सब भला, कहते गुणी सुजान।

कर्म करें नित नेक सब, मदद करें भगवान।।

5 मध्य

मध्य रात्रि शारद-निशा, खिला चाँद आकाश।

तारागण झिलमिल करें, बिखरा गए प्रकाश।।

©  मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संपर्क – 58 आशीष दीप, उत्तर मिलोनीगंज जबलपुर (मध्य प्रदेश)-  482002

मो  94258 62550

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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