श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’

(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा  रात  का  चौकीदार”   महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं की  “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ  समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज प्रस्तुत है एक भावप्रवण एवं विचारणीय अप्रतिम रचना शेष कुशल मंगल है…”)

☆  तन्मय साहित्य # 145 ☆

☆ शेष कुशल मंगल है… ☆ श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ ☆

चिंतनमय शब्दों का

एक घना जंगल है

जंगल में दंगल है

शेष कुशल मंगल है।

 

अक्षरों से बुनें जाल

अपने से ही सवाल

खोजें अंतर्मन में

भ्रमण चले डाल डाल,

 

भावों के सम्मिश्रण से

निकले तब हल है

शेष कुशल मंगल है।

 

आलस को त्याग कर

रात रात जागकर

चले शब्द साधना

लय प्रवाह साध कर,

 

चीर कर अंधेरे को ही

खिलते कमल है

शेष कुशल मंगल है।

 

उपकारी सोच हो

संवेदन स्रोत हो

सत्य के सृजन में न

मन में संकोच हो,

 

फलीभूत लेखनी वही

जिसमें हलचल है

शेष कुशल मंगल है।

© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय

अलीगढ़/भोपाल   

मो. 9893266014

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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