डॉ राजकुमार तिवारी ‘सुमित्र’

(संस्कारधानी  जबलपुर के हमारी वरिष्ठतम पीढ़ी के साहित्यकार गुरुवर डॉ. राजकुमार “सुमित्र” जी  को सादर चरण स्पर्श । वे आज भी  हमारी उंगलियां थामकर अपने अनुभव की विरासत हमसे समय-समय पर साझा करते रहते हैं। इस पीढ़ी ने अपना सारा जीवन साहित्य सेवा में अर्पित कर दिया।  वे निश्चित ही हमारे आदर्श हैं और प्रेरणा स्त्रोत हैं। आज प्रस्तुत हैं आपका स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष में  एक विचारणीय गीत – 15 अगस्त…।)

✍  साप्ताहिक स्तम्भ – लेखनी सुमित्र की # 101 – गीत – 15 अगस्त✍

आजादी की याद दिलाने पंद्रह अगस्त फिर आया है,

और गवाही देने हमने ध्वज तिरंगा फहराया है।

 

अब आजादी के बावजूद जन-गण-मन है दुखी त्रस्त,

भरे हुए मन  से कहते हैं स्वागत है  पंद्रह अगस्त।

 

आजादी कैसे पाई है अब तो सिर्फ कहानी है,

आजादी है राजकुमारी जनता राजा रानी  हैं।

 

आजादी की कीमत हमने अभी नहीं पहचानी  है,

यह वीरों के बलिदानों की जीवित अमर कहानी है।

 

© डॉ राजकुमार “सुमित्र”

112 सर्राफा वार्ड, सिटी कोतवाली के पीछे चुन्नीलाल का बाड़ा, जबलपुर, मध्य प्रदेश

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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डॉ भावना शुक्ल

बेहतरीन समसामयिक अभिव्यक्ति