श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “# आओ तिरंगा फहरायें… #”)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 94 ☆
☆ # आओ तिरंगा फहरायें… # ☆
चलो हम आगे बढ़ते हैं
नया इतिहास मिलके गढ़ते हैं
जो बीत गया वो पुराना था
गुजरा हुआ जमाना था
स्याह स्याह रातें थी
होंठों पर आजादी का तराना था
खुली आंखों में एक आस थी
दिल में कुछ पानें की प्यास थी
ज़ुल्म और अत्याचार सहकर भी
गुलामी से हर निगाह उदास थी
कुछ दीवानों ने सर पे बांधा था कफ़न
आजाद करके रहेंगे अपना वतन
त्याग कर सबकुछ अपना
आजाद करने का लिया था प्रण
आजादी हमें यूं ही नहीं मिलीं थीं
उनके खून से रंगी हर गली थी
हंसते हंसते चढ़ गये थे फांसी पर
आजादी हमें भीख में नहीं मिली थी
पर अब अफसोस –
हम छोटे छोटे समूहों में बंट गए हैं
धर्म, जाति, संप्रदाय के नाम पर छंट गये है
भूलकर उन वीरों की कुर्बानी
एक दूसरे से अपने स्वार्थ में कट गये है
आओ, मिलकर तिरंगा फहरायें
अपने देश को मजबूत बनाऐ
भूलकर आपस की कटुता
भारत देश उन्नत बनाऐ /
© श्याम खापर्डे
फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो 9425592588\
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈