श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी  के साप्ताहिक स्तम्भ  “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है   “मनोज के दोहे किले पर खड़ा तिरंगा….। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।

✍ मनोज साहित्य # 47 – मनोज के दोहे …. 

अधर फड़कते रह गए, प्रियतम आए द्वार।

प्रेम-पियासे ही रहे, मिला न कुछ उपहार।।

 

रच-हाथों में मेहँदी, बाँधा बिखरे -केश।

पावों में अलता लगा, चली सजन के देश।।

 

अलकें लटकीं गाल पर, सपन सलोना रूप।

आँखों में साजन बसे, ऋतु बसंत की धूप।।

 

कंपन करते ओष्ठ हैं, पिया-सेज-शृंगार ।

नव जीवन की कल्पना, खड़े प्रेम के द्वार।।

 

अलि के कानों में कहा, जाती बाबुल देश।

रक्षाबंधन आ रहा, भाई का संदेश।।

 

©  मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संपर्क – 58 आशीष दीप, उत्तर मिलोनीगंज जबलपुर (मध्य प्रदेश)-  482002

मो  94258 62550

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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