डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। 8 सितम्बर 2015 को चिर विदा लेने वाली परम आदरणीया गुरु माँ डॉ गायत्री तिवारी जी को सजल श्रद्धांजलि! आज प्रस्तुत हैं  उन्हें समर्पित  भावना की शब्दांजली   – तुम यहीं हो।) 

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🌸 स्मृति शेष डॉ गायत्री तिवारी 🌸

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 149 – साहित्य निकुंज ☆

भावना की शब्दांजलि – तुम यहीं हो

तुम मेरी यादों के

झरोखे में झांकती

मुझे तुम निहारती

मै अतीत के उन पलों

में पहुंच जाती हूं।

 

तुम्हारा रोज मुझसे

बात करना,अपना

मन हल्का करना।

मैं खो जाती हूं तुम्हारे

आंचल की छांव में

जहां मिलता था

मुझे सुकून, मुझे चैन।

 

तुम्हारा प्यार ,तुम्हारा

ममत्व अक्सर

ख्वाबों में भी आराम

देता है।

नींद में भी तुम्हारे

हाथों का स्पर्श

यकीन दिला जाता है कि

तुम हो मेरे ही आस पास।

 

मन में आज भी एक

प्रश्न चिन्ह उठता है

जिंदगी पूरी जिये

बिना तुम क्यों चली गई

और जाने कितने सवाल

छोड़ गई हम सब के लिए।

जो आज भी अनसुलझे है।

 

तुम गई नहीं हो

तुम हो

तिलिस्म के साए में

ऐसी माया है जिससे वशीभूत

होकर व्यक्ति उसके मोह जाल में

फंस जाता है।

मां

हो मेरे आसपास

मेरे अस्तित्व को मिलता है अर्थ

नहीं है कुछ भी व्यर्थ।।

तुम मेरी यादों में ……

© डॉ भावना शुक्ल

सहसंपादक… प्राची

प्रतीक लॉरेल, J-1504, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब. 9278720311 ईमेल : [email protected]

🌸 ई- अभिव्यक्ति परिवार की और से गुरुमाता डॉ गायत्री तिवारी जी की पुण्य तिथि (8 सितंबर 2015) पर सादर नमन एवं विनम्र श्रद्धांजलि 🌸

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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