आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’
(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि। संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है आचार्य जी द्वारा रचित अरण्य वाणी…)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 109 ☆
☆ अरण्य वाणी… ☆
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मनुज पुलक; सुन अरण्य वाणी
जीवन मधुवन बन जाएगा
कंकर शंकर बन गाएगा
श्वास-आस होगी कल्याणी
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भुज भेंटे आलोक तिमिर से
बारी-बारी आए-जाए
शयन-जागरण चक्र चलाए
सीख समन्वय गिरि-निर्झर से
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टिट्-टिट् करती विहँस टिटहरी
कुट-कुट कुतरे सुफल गिलहरी
गरज करे वनराज अफसरी
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खेलें-खाएँ हिल-मिल प्राणी
मधुरस पूरित टपरी-ढाणी
दस दिश गुंजित अरण्य वाणी
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© आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’
२०-९-२०२२
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