डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत है “भावना के दोहे…”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 152 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे… ☆
बाट जोहती राधिका, कछु ना मोह सुहाय।
श्याम-श्याम माला जपै, ढलकत आंसू जाय।।
आहट दर पर हुई मगर, जागी मन में आस।
देख मोहन का रुप तो, बुझी नैन की प्यास।।
शोभा राधा से बढ़ी, अंक भर रहे श्याम।
मंद मघुर मुस्कान से, देख रहे घन श्याम।।
बातों में उलझा रहे, ढलती है अब शाम।
रस्ता घर पर देखते, जाने दो अब श्याम।।
मुरली मधुर बजा रहे, साथ रचाते रास।
हम दोनों के संग का, मौका है ये खास।।
राधा-राधा जप लियो, होंगे पूरे काम।
मन में तो मोहन बसा, लेकर राधा नाम।।
© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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