प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध
(आज प्रस्तुत है गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी द्वारा श्री गणेश चतुर्थी पर्व पर रचित एक कविता “.. चलो माँ के दर्शन करें…”। हमारे प्रबुद्ध पाठकगण प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी काव्य रचनाओं को प्रत्येक शनिवार आत्मसात कर सकेंगे।)
☆ काव्य धारा 102 ☆ गीत – “.. चलो माँ के दर्शन करें” ☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ ☆
आया नवरात्रि का त्यौहार, चलो माँ के दर्शन करें
अंबे मां का लगा है दरबार, चलो माँ के दर्शन करें
माता के दरसन है पावन सुहावन
नैनों से झरता है करुणा का सावन
भक्तों की माँ ही आधार,
चलो माँ के दर्शन करें
माता के मंदिर की शोभा निराली
उड़ती ध्वजा लाल मन हरने वाली
खुला सबके लिये मां का द्वार,
चलो माँ के दर्शन करें
मंदिर में जलती सुहानी वो जोती
जो मन के सब मैल किरणो से धोती
माता सुनती हैं सबकी पुकार
चलो मां के दर्शन करें
© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
ए २३३ , ओल्ड मीनाल रेजीडेंसी भोपाल ४६२०२३
मो. 9425484452
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈