श्री अरुण श्रीवास्तव

(श्री अरुण श्रीवास्तव जी भारतीय स्टेट बैंक से वरिष्ठ सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। बैंक की सेवाओं में अक्सर हमें सार्वजनिक एवं कार्यालयीन जीवन में कई लोगों से मिलना जुलना होता है। ऐसे में कोई संवेदनशील साहित्यकार ही उन चरित्रों को लेखनी से साकार कर सकता है। श्री अरुण श्रीवास्तव जी ने संभवतः अपने जीवन में ऐसे कई चरित्रों में से कुछ पात्र अपनी साहित्यिक रचनाओं में चुने होंगे। उन्होंने ऐसे ही कुछ पात्रों के इर्द गिर्द अपनी कथाओं का ताना बाना बुना है। आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय  कथा श्रंखला  “Representing People …“ की अगली कड़ी ।)   

☆ कथा कहानी  # 51 – Representing People – 4 ☆ श्री अरुण श्रीवास्तव ☆

सत्तर के दशक में ऋषिकेश मुखर्जी निर्देशित फिल्म आई थी, “नमकहराम” राजेश खन्ना,अमिताभ बच्चन,ए.के.हंगल और रेखा की.राजेश खन्ना उस वक्त के सुपर स्टार थे और अमिताभ नये उभरते सितारे.फिल्म में दो किरदार थे,दोनों बहुत गहरे मित्र,कॉलेज के सहपाठी, एक के पिता अमीर उद्योगपति और दूसरा हमारी सत्तर के दशक की फिल्मों का नायक जो आमतौर पर गरीब परिवार का ही होता था और इस फिल्म में पिता से भी वंचित. फिल्म के अंत में इस पात्र की मृत्यु हो जाती है. फिल्म आनंद के आनंद भी राजेश खन्ना ही थे जो फिल्म के क्लाइमेक्स में मरकर भी किरदार को अमर कर गये थे.अमिताभ बच्चन के अंदर छुपे भावी महानायक के पांव ,पालने में  यानी इस फिल्म से ही नज़र आने लगे थे.कुछ फिल्में थियेटर से बाहर निकलने के बाद भी दिलोदिमाग से निकल नहीं पातीं.आनंद और डॉक्टर भास्कर के पात्रों ने फिल्म आनंद को अपने युग की अविस्मरणीय फिल्म बना दिया.नायक ने मृत्यु का वरण किया पर पात्र और फिल्म दोनों ही अमर हो गये. जब ऋषिकेश मुखर्जी फिल्म नमकहराम बना रहे थे तो उन्होंने सुपर स्टार राजेश खन्ना को दोनों भूमिकाएं ऑफर की ,राजेश खन्ना ने “आनंद ” की सफलता से प्रभावित होकर ,गरीब युवक की भूमिका चुनी जो अंत में नियोजित दुर्घटना में काल कलवित हो जाता है.ये फिल्म भी बहुत सराही गई, अमिताभ बच्चन ने अपने उद्योगपति पुत्र के किरदार को अपने कुशल अभिनय से जीवंत कर दिया और दर्शकों की पसंद बन गये.फिल्म नमकहराम एक फिल्म नहीं आहट थी एक सुपर स्टार के उदय होने और दूसरे सुपर स्टार के जाने की.ये कहानी थी उम्मीदों के परवान चढ़ने की और अहंकार के कारण एक सुपर स्टार के शिखर से पतन की ओर बढ़ने की. नमकहराम फिल्म की कहानी का उत्तरार्द्ध एक छद्म मज़दूर नेता के हृदय परिवर्तन पर केंद्रित था.शिक्षा पूर्ण करने के बाद जब अमिताभ अपने पिता की फैक्ट्री संभालने आते हैं तो उनके उग्र स्वभाव का सामना होता है मज़दूर नेता ए.के.हंगल से जो अपने साथियों की मांगों के संदर्भ में अमिताभ को संगठन की ताकतका एहसास करा देते हैं उद्योगपति पुत्र का अहम् ये बरदाश्त नहीं कर पाता और एक कुटिल नीति के तहत राजेश खन्ना को एक उभरते हुये मज़दूर नेता के रूप में प्रत्यारोपित किया जाता है जो रहता तो मज़दूरों की बस्ती में है पर यारी निभाने के कारण बैठता है पूंजीपतियों की गोद में.जो मांगे हंगल लेकर आते हैं वो नामंजूर और फिर वही इस प्लांटेड नेता की छद्म उग्रता के कारण मान ली जाती हैं.कुछ पाना,भले ही षडयंत्र हो पर इस राजेश खन्ना के पात्र को लोकप्रिय बनाता है जो अंततः हंगल को यूनियन के चुनावों में पराजित कर देता है.ये प्रायोजित विजय,लगती तो है पर वास्तविक जीत नहीं होती क्योंकि इसका आधार ही व्यक्तिगत स्वार्थ और षडयंत्र होते हैं.पर समय के साथ जब राजेश खन्ना, मज़दूर बस्ती में रहकर उनकी जिंदगी, उनकी समस्याओं से रूबरू होते हैं तो न केवल उन्हें मजदूर नेता हंगल की निष्ठा, समर्पण और मेहनत का अहसास होता है बल्कि उनके पात्र का हृदय परिवर्तन होता है.हंगल उन्हें सच्चाई का रास्ता दिखाते हैं और ये नकली नेता,एक संवेदनशील प्रतिनिधित्व की ओर कदम दर कदम सफर तय करता है.जब अमिताभ अभिनीत पात्र का इस संवेदनशील प्रतिनिधि से सामना होता है तो आक्रोश और आहत अमिताभ, राजेश खन्ना के लिये जो शब्द प्रयुक्त करते हैं वो होता है “नमक हराम” पर हम और आप जिन्होंने बहुत कुछ अनुभव किया है,अच्छी तरह समझते हैं कि निष्ठा और समर्पण क्या है और छद्म प्रतिनिधित्व क्या है.सवाल तो हमेशा यही रहता है कि चाहे वो फिल्म हो या वास्तविकता, कि ये नमक रूपी ऊर्जा और शक्ति कहां से मिलती है.इस ऊर्जा और शक्ति के स्त्रोत की उपेक्षा ही है नमक रूपी विश्वासघात. अंतहीनता ही इसकी विशेषता है क्योंकि युद्घ काल की संभावना कभी समाप्त नहीं होती. ये शायद अंत नहीं है.

© अरुण श्रीवास्तव

संपर्क – 301,अमृत अपार्टमेंट, नर्मदा रोड जबलपुर ≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments