श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी द्वारा आज प्रस्तुत है “मनोज के दोहे। आप प्रत्येक मंगलवार को श्री मनोज जी की भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकते हैं।
मनोज साहित्य # 54 – मनोज के दोहे…. ☆
1 नेकी
नेकी खड़ी उदास है, लालच का बाजार ।
मूरत मानवता बनी, दिखती है लाचार ।।
2 परिधान
बैठ गया यजमान जब, पहन नए परिधान।
देख रहा ईश्वर उसे, मन में है अभिमान।।
3 अनाथ
देखो किसी अनाथ को, उसका दे दो साथ।
अगर सहारा मिल गया, होगा नहीं अनाथ।।
4 सौजन्य
मित्र सभी सौजन्य से, मिलते हैं हर बार।
दुश्मन खड़ा निहारता, मन में पाले खार।।
5 सरपंच
गाँवों के सरपंच ने, दिया सभी को ज्ञान।
फसलों की रक्षा करें, प्राण यही भगवान।।
© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
24-9-2022
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