डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता “अधूरा इश्क़”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 156 – साहित्य निकुंज ☆
☆ अधूरा इश्क़ ☆
अधूरा इश्क़ अधूरा न रहेगा।
संगीत बन सांसों में बहेगा।
ख्वाबों में जब से तेरा आना हुआ
जिंदगी का हर पल सुहाना हुआ
लगता है अधूरा इश्क होगा पूरा
जिंदगी में होगा फिर सबेरा
इस अहसास से मिली है जान
नहीं है हम इससे अनजान।
आरजू है मेरी होगी कल्पना साकार
करना है सिर्फ प्रेम का इजहार
अधूरा इश्क़ अधूरा न रहेगा
संगीत बन सांसों में बहेगा।
तुझसें मिलने की खुशी है दुगनी
अंतर्मन में है प्यार की बानगी
तेरी सांसें मेरे जीने का आधार है
फिर भी कहता हूं तू ही मेरा प्यार है।
तुझको देखे हो गया एक जमाना
बिन मुहब्बत के ये हुआ खंडहर
हो गया है अब पुराना
आओ आकर करो इसे आबाद
बचा लो इसे होने से बरबाद
फिर ये
अधूरा इश्क़ अधूरा न रहेगा
संगीत बन सांसों में बहेगा।
हाथ रखो गिनों तुम धड़कन
धड़कता है मेरे लिए तेरा मन
जैसे राधिका है श्याम का आधार
है वह जन्म जन्मांतर का प्यार
मिला है उनका अंतर्मन
सार्थक है उनका जीवन
नहीं मिलकर भी मिल गए
एक दूजे में समाहित हो गए
पूजे जाते है राधे कृष्ण है एक
जोड़ी है उनकी सबसे अनेक
तुम भी समझो कहती हूं
फिर ये
अधूरा इश्क अधूरा नहीं रहेगा
संगीत बन सांसों में बहेगा।।
मीरा भी थीं कृष्ण की दीवानी
थीं राजघराने की राजपूतानी
कृष्ण कृष्ण छाए हर ओर
कृष्ण के बिना नहीं दूसरा छोर
हुई वे भी कृष्ण में समाहित
कर दिया अंतर्मन समर्पित
तुम भी समझो कहती हूं
तुमको देखते ही बहती है जलधार।
इश्क अधूरा ना रहे कर लो मुझसे प्यार।
अधूरा इश्क अधूरा नहीं रहेगा
संगीत बन सांसों में बहेगा।।
अधूरा इश्क़ ..।
© डॉ भावना शुक्ल
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