श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी द्वारा आज प्रस्तुत है “मनोज के दोहे। आप प्रत्येक मंगलवार को श्री मनोज जी की भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकते हैं।
मनोज साहित्य # 57 – मनोज के दोहे…. दीप ☆
1 रोशनी
दीवाली की रोशनी, बिखराती उजियार।
प्रखर रश्मियाँ दीप की, करे तमस संहार ।।
2 उजियार
हिन्दू-संस्कृति है भली, नहीं किसी से बैर।
फैलाती उजियार जग, माँगे सबकी खैर।।
3 जगमग
जगमग दीवाली रही, देश कनाडा यार।
आतिशबाजी देख कर, लगा भला त्यौहार।।
4 तम
तम घिरता ही जा रहा, सीमा के उस पार।
चीन-पाक आतंक का, कैसे हो उपचार।।
5 दीप
दीप-मालिके कर कृपा, फैला दे उजियार।
सद्भभावों की भोर हो, खुलें प्रगति के द्वार।।
© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
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