हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ – ☆ सकारात्मक सपने – #1 – आत्मकथ्य – युवा सरोकार के लघु आलेख ☆ – सुश्री अनुभा श्रीवास्तव
सुश्री अनुभा श्रीवास्तव
(सुप्रसिद्ध युवा साहित्यकार, विधि विशेषज्ञ, समाज सेविका के अतिरिक्त बहुआयामी व्यक्तित्व की धनी सुश्री अनुभा श्रीवास्तव जी का e-abhivyakti में हार्दिक स्वागत है। साप्ताहिक स्तम्भ के अंतर्गत हम उनकी कृति “सकारात्मक सपने” (इस कृति को म. प्र लेखिका संघ का वर्ष २०१८ का पुरस्कार प्राप्त) को लेखमाला के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। आज प्रस्तुत है सुश्री अनुभा जी का आत्मकथ्य। इस लेखमाला की कड़ियाँ आप प्रत्येक सोमवार को पढ़ सकेंगे।)
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☆ सकारात्मक सपने ☆
☆ आत्मकथ्य – युवा सरोकार के लघु आलेख☆
जीवन में विचारो का सर्वाधिक महत्व है. विचार ही हमारे जीवन को दिशा देते हैं, विचारो के आधार पर ही हम निर्णय लेते हैं . विचार व्यक्तिगत अनुभव , पठन पाठन और परिवेश के आधार पर बनते हैं . इस दृष्टि से सुविचारो का महत्व निर्विवाद है . अक्षर अपनी इकाई में अभिव्यक्ति का वह सामर्थ्य नही रखते , जो सार्थकता वे शब्द बनकर और फिर वाक्य के रूप में अभिव्यक्त कर पाते हैं . विषय की संप्रेषणीयता लेख बनकर व्यापक हो पाती है. इसी क्रम में स्फुट आलेख उतने दीर्घजीवी नही होते जितने वे पुस्तक के रूप में प्रभावी और उपयोगी बन जाते हैं . समय समय पर मैने विभिन्न समसामयिक, युवा मन को प्रभावित करते विभिन्न विषयो पर अपने विचारो को आलेखो के रूप में अभिव्यक्त किया है जिन्हें ब्लाग के रूप में या पत्र पत्रिकाओ में स्थान मिला है. लेखन के रूप में वैचारिक अभिव्यक्ति का यह क्रम और कुछ नही तो कम से कम डायरी के स्वरूप में निरंतर जारी है.
अपने इन्ही आलेखो में से चुनिंदा जिन रचनाओ का शाश्वत मूल्य है तथा कुछ वे रचनाये जो भले ही आज ज्वलंत न हो किन्तु उनका महत्व तत्कालीन परिदृश्य में युवा सोच को समझने की दृष्टि से प्रासंगिक है व जो विचारो को सकारात्मक दिशा देते हैं ऐसे आलेखों को प्रस्तुत कृति में संग्रहित करने का प्रयास किया है . संग्रह में सम्मिलित प्रायः सभी आलेख स्वतंत्र विषयो पर लिखे गये हैं ,इस तरह पुस्तक में विषय विविधता है. कृति में कुछ लघु लेख हैं, तो कुछ लम्बे, बिना किसी नाप तौल के विषय की प्रस्तुति पर ध्यान देते हुये लेखन किया गया है.
आशा है कि पुस्तकाकार ये आलेख साहित्य की दृष्टि से संदर्भ, व वैचारिक चिंतन मनन हेतु किंचित उपयोगी होंगे.
© अनुभा श्रीवास्तव