डॉ. ऋचा शर्मा
(डॉ. ऋचा शर्मा जी को लघुकथा रचना की विधा विरासत में अवश्य मिली है किन्तु ,उन्होंने इस विधा को पल्लवित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी । उनकी लघुकथाएं और उनके पात्र हमारे आस पास से ही लिए गए होते हैं , जिन्हें वे वास्तविकता के धरातल पर उतार देने की क्षमता रखती हैं। आप ई-अभिव्यक्ति में प्रत्येक गुरुवार को उनकी उत्कृष्ट रचनाएँ पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है एक विचारणीय एवं भावप्रवण कविता ‘रिश्ते ये खून के’। डॉ ऋचा शर्मा जी की लेखनी को इस लघुकथा रचने के लिए सादर नमन।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – संवाद # 106 ☆
☆ कविता – रिश्ते ये खून के — ☆ डॉ. ऋचा शर्मा ☆
नहीं मालूम था
कि रिश्ते ये खून के ,
समय के साथ
पानी हो जाते हैं ,
बेमानी हो जाते हैं ।
नहीं मालूम था कि
रिश्ते ये प्यार भरे
भाव भरे , स्नेह तरे
संजोया जिन्हें हर पल
आँखों के संग – संग
वह दे जाएंगे खालीपन
रिश्तों में दे खारापन |
नहीं मालूम था कि
रिश्तों की किरचें
बिखर जाएंगी
चारों ओर
संभलने और संभालने
की कोशिशें
छोड़ जाएंगी निशान !
रिश्ते ये खून के ?
©डॉ. ऋचा शर्मा
अध्यक्ष – हिंदी विभाग, अहमदनगर कॉलेज, अहमदनगर. – 414001
संपर्क – 122/1 अ, सुखकर्ता कॉलोनी, (रेलवे ब्रिज के पास) कायनेटिक चौक, अहमदनगर (महा.) – 414005
e-mail – [email protected] मोबाईल – 09370288414.
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈