श्री सूबेदार पाण्डेय “आत्मानंद”

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – आत्मानंद साहित्य# 149 ☆

☆ ‌कविता – महात्मा गांधी ☆ श्री सूबेदार पाण्डेय “आत्मानंद” ☆

सत्य अहिंसा  उनके मन में, उनका नाम  महात्मा गांधी।

 अंग्रेजों की  चूल हिल गई, जब आई  वैचारिक आंधी  ।

असहयोग आंदोलन के जनक बने,  लाठी डंडे खाए।

सही यातना की पीड़ा, फिर भी कभी न पछताए ।।1।।

 

दुबला पतला शरीर था उनका, थे आतम बल के न्यारे।

 वाणी में  आकर्षण के चलते, जनता के बीच हुए प्यारे।

 दांडी आंदोलन के बल पर, सत्याग्रह अभियान चलाया।

 विदेशी कपड़ों की जला के होली, गली गली में नाम कमाया।।2।।

 

हर दिल में वैचारिक क्रांति का, गांधी ने उद्घघोष किया।

रामराज्य का सपना देखा, दुखियों  के दुख  अंत किया।

गांवों के विकास का सपना, उनकी आंखों ने देखा था।

और गुलामी से मुक्ति को, संघर्ष का नारा चोखा था।।3।।

 

राष्ट्र पिता की छवि बनी,  भारत को आजाद कराए।

औ खादी आंदोलन कर के, जन जन  के तन पर वस्त्र सजाए।

दो अक्टूबर को हम सब मिलकर, गांधी जयंती मनाते हैं।

 कभी न भूले शास्त्री जी को, उनको भी शीष झुकाते हैं।।4।।

 

आज के दिन ही भारत मां नें, जन्माए दो लाल थे।

सत्य, अहिंसा, और इमान के, दोनों बने मिसाल थे

दोनों ने अपनी कुर्बानी दे, अपने वतन का मान बढ़ाया।

अपनी हिम्मत अपने ताकत से, उसका शीष झुकाया।।5।।

© सूबेदार  पांडेय “आत्मानंद”

संपर्क – ग्राम जमसार, सिंधोरा बाज़ार, वाराणसी – 221208, मोबा—6387407266

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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