डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से \प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत है “भावना के दोहे”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 160 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे ☆
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मोहन राधा से कहे,क्यों बैठी हो मौन।
सोच में किसके डूबती ,बतला दो है कौन।।
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प्यारे तेरे केश हैं, प्यारे तेरे बोल।
मन मोहन की राधिका,तू तो है अनमोल।।
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मोहन तुझको देखकर, कटते है दिन रात।
तुझ बिन ब्रज सूना लगे, कौन करे अब बात।।
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मोर मुकुट धारण करें, न्यारी छबि के लाल।
तुझे निहारु दरपण से,राधा के गोपाल।।
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सुंदर छबि है आपकी, मन – मोहन का राग।
ओ प्यारे ओ साँवरे, राधा का अनुराग।।
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© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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