श्री एस के कपूर “श्री हंस”
(बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री एस के कपूर “श्री हंस” जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। आप कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं। साहित्य एवं सामाजिक सेवाओं में आपका विशेष योगदान हैं। आप प्रत्येक शनिवार श्री एस के कपूर जी की रचना आत्मसात कर सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपका एक भावप्रवण मुक्तक ।।हर दिन इक़ नया संग्राम है यह जिन्दगी।।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ “श्री हंस” साहित्य # 44 ☆
☆ मुक्तक ☆ ।।हर दिन इक़ नया संग्राम है यह जिन्दगी।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆
[1]
बस सुख और आराम ,नहीं है जिंदगी।
ना होना दुख का निशान, नहीं है जिंदगी।।
संघर्षों से दाम वसूलती, वह जिंदगी है।
गमों पर लगे विराम, नहीं है जिंदगी।।
[2]
ऐशो आराम तामझाम, नहीं है जिंदगी।
बस खुशियों का ही पैगाम,नहीं है जिंदगी।।
कभी खुशी कभी गम, का ही नाम यह।
कोशिशों से पाना मुकाम ,है यह जिंदगी।।
[3]
हर सुख का मिला जाम, नहीं है जिंदगी।
बस यूँ ही गुमनाम, नहीं है जिंदगी।।
संघर्ष अग्नि पर ,तपकर बनता है सोना।
अपने स्वार्थ से ही,काम नहीं है जिंदगी।।
[4]
सुख दुःख का छाया, घाम है यह जिंदगी।
हरदिन इक़ नया संग्राम,है यह जिंदगी।।
अपने लिए नहीं दूजों के,लिये जीना यहाँ।
सरोकारों के चारों धाम, है यह जिंदगी।।
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© एस के कपूर “श्री हंस”
बरेली
मोब – 9897071046, 8218685464