श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी  के साप्ताहिक स्तम्भ  “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है “मनोज के दोहे… । आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।

✍ मनोज साहित्य # 60 – मनोज के दोहे… 

1 धूप

बदला मौसम कह रहा, ठंडी का है राज।

धूप सुहानी लग रही,इस अगहन में आज।।

2 धवल

धुआँधार में नर्मदा, निर्मल धवल पुनीत।

गंदे नाले मिल गए, बदला मुखड़ा पीत ।।

3 धनिक

धनिक तनिक भी सोचते, कर देते उद्धार।

कृष्ण सखा संवाद कर, हरते उसका भार ।।

4 धरती

धरती कहती गगन से, तेरा है विस्तार।

रखो मुझे सम्हाल के, उठा रखा है भार।।

5 धरित्री

जीव धरित्री के ऋणी, उस पर जीवन भार।

रखें सुरक्षित हम सभी, हम सबका उद्धार।।

©  मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संपर्क – 58 आशीष दीप, उत्तर मिलोनीगंज जबलपुर (मध्य प्रदेश)-  482002

मो  94258 62550

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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