श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है “मनोज के दोहे… ”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 60 – मनोज के दोहे… ☆
1 धूप
बदला मौसम कह रहा, ठंडी का है राज।
धूप सुहानी लग रही,इस अगहन में आज।।
2 धवल
धुआँधार में नर्मदा, निर्मल धवल पुनीत।
गंदे नाले मिल गए, बदला मुखड़ा पीत ।।
3 धनिक
धनिक तनिक भी सोचते, कर देते उद्धार।
कृष्ण सखा संवाद कर, हरते उसका भार ।।
4 धरती
धरती कहती गगन से, तेरा है विस्तार।
रखो मुझे सम्हाल के, उठा रखा है भार।।
5 धरित्री
जीव धरित्री के ऋणी, उस पर जीवन भार।
रखें सुरक्षित हम सभी, हम सबका उद्धार।।
© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
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