श्री एस के कपूर “श्री हंस”
(बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री एस के कपूर “श्री हंस” जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। आप कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं। साहित्य एवं सामाजिक सेवाओं में आपका विशेष योगदान हैं। आप प्रत्येक शनिवार श्री एस के कपूर जी की रचना आत्मसात कर सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपका एक भावप्रवण मुक्तक ।।यह छोटी सी जिंदगी प्रेम के लिए भी कम है।।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ “श्री हंस” साहित्य # 45 ☆
☆ मुक्तक ☆ ।।यह छोटी सी जिंदगी प्रेम के लिए भी कम है।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆
[1]
ज्ञान बुद्धि विनम्रता तेरे आभूषण हैं।
सत्यवादिता प्रभुआस्था तेरे भूषण हैं।।
मत रागद्वेष कुभावना वरण करना।
ईर्ष्या और घृणा कुमति और दूषण हैं।।
[2]
आत्मविश्वास से खुलती सफल राह है।
सबकुछ संभव यदि जीतने की चाह है।।
व्यवहार कुशलता बनती उन्नति साधक।
बाधक बनती हमारी नफरत डाह है।।
[3]
मत पालो क्रोध प्रतिशोध बन जाता है।
मनुष्य स्वयं जलता औरों को जलाता है।।
प्रतिशोध का अंत पश्चाताप से है होता।
कभी व्यक्ति प्रायश्चित भी नहीं कर पाता है।।
[4]
विचार आदतों से चरित्र निर्माण होता है।
इसीसे तुम्हारा व्यक्तित्व चित्र निर्माण होता है।।
तभी बनती तुम्हारी लोगों के दिल में जगह।
गलत राह पर केवल दुष्चरित्र निर्माण होता है।।
[5]
बस छोटी सी जिंदगी प्रेम के लिए भी कम है।
नफरत बन जाती यूं लोहे की जंग है।।
बदला लेने में बर्बाद नहीं करें इस वक्त को।
तेरा सही रास्ता ही लायेगा सफलता का रंग है।।
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© एस के कपूर “श्री हंस”
बरेली
मोब – 9897071046, 8218685464