श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है “मनोज के दोहे… ”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 61 – मनोज के दोहे… ☆
1 अंत
अंत भला तो सब भला, सुखमय आती नींद।
शुभारंभ कर ध्यान से, सफल रहे उम्मीद ।।
2 अनंत
श्रम अनंत आकाश है, उड़ने भर की देर।
जिसने पर फैला रखे, वही समय का शेर।।
3 आकाश
पक्षी उड़ें आकाश में, नापें सकल जहान।
मानव अब पीछे नहीं, भरने लगा उड़ान।।
4 अवनि
अवनि प्रकृति अंबर मिला, प्रभु का आशीर्वाद।
धर्म समझ कर कर्म कर, मत चिंता को लाद।।
5 अचल
अचल रही है यह धरा, आते जाते लोग।
अर्थी पर सब लेटते, सिर्फ करें उपभोग।।
© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
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