श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी  के साप्ताहिक स्तम्भ  “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है “मनोज के दोहे…। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।

✍ मनोज साहित्य # 62 – मनोज के दोहे… 

1 विग्रह

विग्रह शालिगराम का, देव विष्णु प्रतिरूप।

पूजन अर्चन हम करें, दर्शन सुखद अनूप ।।

2 वितान

उड़ने को आकाश है, फैला हुआ वितान।

पंछी पर फैला उड़े, मानव उड़ें विमान।।

3 विहग

उड़ें विहग आकाश में, नापें नभ का छोर।

शाखों पर विश्राम कर, उड़ते फिर नित भोर।।

4 विहान

नव विहान अब हो रहा, भारत में फिर आज।

विश्व पटल पर छा गया, सिर में पहने  ताज।।

5 विवान

किरणें बिखरा चल पड़ा, रथ आरूढ़ विवान।

प्राणी को आश्वस्त कर, गढ़ने नया विहान।।

©  मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संपर्क – 58 आशीष दीप, उत्तर मिलोनीगंज जबलपुर (मध्य प्रदेश)- 482002

मो  94258 62550

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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