डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “हे मां मातृभूमि तुझे नमन”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 162 – साहित्य निकुंज ☆
☆ आजाद हिन्द फ़ौज ध्वजारोहण दिवस विशेष – हे मां मातृभूमि तुझे नमन ☆
(30 दिसंबर, 1943 को पहली बार नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने पोर्ट ब्लेयर के रॉस द्वीप में आजाद हिंद फौज का झंडा फहराया था। अब इस स्थान को सुभाष दीप कहा जाता है।)
हे मां मातृभूमि तुझे नमन
शत शत नमन मेरे वतन
तेरे स्नेह में किए अर्पित
किए तुमने प्राण समर्पित।
सन तेतालीस पोर्ट ब्लेयर में
आजादी का झंडा लहराया।
भारत माता विजय दिवस
दिसंबर 30 याद आया।
याद आते हरदम सुभाष
उन्हें थी बस वतन की आस
पराक्रमी देशभक्त को था
आजादी मिलने का विश्वास।
सुभाष पर वतन को गुमान
बच्चे बच्चे पर है इनका नाम
कहां खो गए ये भी भान नहीं
याद कर वतन करता सम्मान।
वतन आज आजाद नहीं
कहीं तबाही कहीं आतंकी
कहीं सुलगता है इन्सान
दे रहे कितने शहीद बलिदान।
तुम मुझे खून….किया जयघोष।
स्वाधीनता का किया उदघोष
वतन याद कर रहा आज भी
आजादी के लिए किया संघर्ष
तेरे लहू का कतरा कतरा
वतन के काम है आया ।
जो आप कह गए सुभाष
वहीं देश ने बार बार दोहराया।।
© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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