श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है दीप पर्व पर आपकी एक भावप्रवण कविता “#नया वर्ष …#”)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 110 ☆
☆ # नया वर्ष … # ☆
बीत गया पुराना साल
लाल हुआ अंबर का भाल
अरुणोदय के संग
किरणों के रंग बिरंगे रंग
बिखेर रहे अपनी छटा
स्याह जुल्फों को हटा
आलोकित करते
फूल और कलियां
गुंजायमान करती
हुई गलियां
नव प्रभात के स्वागत गीत
गा रही है
नई सुबह अंगड़ाई लेकर
हौले-हौले आ रही है
वसुंधरा ने
शुभ्र शालू ओढ़ा है
ठंड ने अपना रिकॉर्ड तोड़ा है
जमे हुए पांव, कंपकंपाते हाथ
ठिठुरते हुए बदन
चुभती हुई सर्द हवाएं
अब ढूंढ रही है तपन
लिहाफ में दुबके हुए जिस्म
आंखें खोल रहे हैं
बाहरी ठंड के अहसास को
आलिंगन में तोल रहे हैं
सारी कायनात प्रेम में
खोई हुई है
सब पे दीवानगी सी
छाई हुई है
हर पल एक खुशनुमा
आहट है
नववर्ष आने की
शायद सुगबुगाहट है
बीते वर्ष की कड़वाहट को
भुलाने का समय
आ गया है
प्यार बांटने
खुशियां मनाने
नया वर्ष
अब आ गया है /
© श्याम खापर्डे
फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो 9425592588
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈