श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’

(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा  रात  का चौकीदार”  महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं की  “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ  समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज नव वर्ष पर प्रस्तुत हैं आपकी एक अतिसुन्दर, भावप्रवण एवं विचारणीय कविता  “है सब कुछ अज्ञात……”। )

☆  तन्मय साहित्य  #163 ☆

☆ है सब कुछ अज्ञात…

फिर से नया वर्ष इक आया

है सब कुछ अज्ञात

न जाने क्या सँग में

सौगातें  लाया।

 

विपदाओं की करुण कथाएँ

बार-बार स्मृतियों में आये

बिछुड़ गए जो संगी-साथी

कैसे उनको हम बिसराएँ

है अनुनय कि विगत समय की

पड़े न तुम पर काली छाया

 फिर से नया वर्ष……..।

 

स्वस्ति भाव उपकारी मन हो

बढ़े परस्पर प्रेम सघन हो

हर दिल में उजास तुम भरना

सुखी सृष्टि, हर्षित जन-जन हो

नहीं विषैली बहे हवाएँ

रहें निरोगी सब की काया

फिर से नया वर्ष ……..।

 

सद्भावों की सरिता अविरल

बहे नेह धाराएँ निर्मल

खेत और खलिहान धान्यमय

बनी रहे सुखदाई हलचल

स्वागत में नव वर्ष तुम्हारे

 

आशाओं का दीप जलाया

फिर से नया वर्ष ……..।

 

विश्वशांति साकार स्वप्न हों

नव निर्माणों के प्रयत्न हों

देवभूमि उज्ज्वल भारत में

नये-नये अनमोल रत्न हों

अभिनंदन आगत का है

आभार विगत से जो भी पाया

फिर से नया वर्ष ……..।

© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय

जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश, अलीगढ उत्तरप्रदेश  

मो. 9893266014

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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