श्री एस के कपूर “श्री हंस”
(बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री एस के कपूर “श्री हंस” जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। आप कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं। साहित्य एवं सामाजिक सेवाओं में आपका विशेष योगदान हैं। आप प्रत्येक शनिवार श्री एस के कपूर जी की रचना आत्मसात कर सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपका एक भावप्रवण मुक्तक ।। जिंदगी चल कि अभी कुछ कर्ज़ चुकाना बाकी है ।।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ “श्री हंस” साहित्य # 48 ☆
☆ मुक्तक ☆ ।। जिंदगी चल कि अभी कुछ कर्ज़ चुकाना बाकी है ।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆
[1]
जिंदगी अभी चल प्रभु कर्ज चुकाना बाकी है।
अपने पराये का भी कुछ दर्द मिटाना बाकी है।।
टूटे रिश्तों की तुरपाई करनी है मिल कर।
ईश्वर शुकराने को भी सिर झुकाना बाकी है।।
[2]
किसीके भूख की अग्नि अभी बुझाना बाकी है।
नई पीढ़ी को भी सही राह सुझाना बाकी है।।
बहुत काम कर लिया जीवन के इस सफर में।
फिर भी कुछऔर नया करके दिखाना बाकी है।।
[3]
जीवन मोड़ों में पड़ी गाँठेअभी सुलझाना बाकी है।
किसी का अभी रूठना मनाना हंसाना बाकी है।।
जो छूट गया पीछे जीवन की इस भाग दौड़ में।
तिनका तिनका जोड़ उसको फिर जुटाना बाकी है।।
[4]
अधूरी बात अभी भी सबको सुनाना बाकी है।
किसी रोते हुए को भी अभी हँसाना बाकी है।।
जो मिली अनमोल वरदान सी यह इक जिंदगी।
उस जिंदगी का बाकी फ़र्ज़ अभी निभाना बाकी है।।
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© एस के कपूर “श्री हंस”
बरेली
मोब – 9897071046, 8218685464