डॉ राजकुमार तिवारी ‘सुमित्र’
(संस्कारधानी जबलपुर के हमारी वरिष्ठतम पीढ़ी के साहित्यकार गुरुवर डॉ. राजकुमार “सुमित्र” जी को सादर चरण स्पर्श । वे आज भी हमारी उंगलियां थामकर अपने अनुभव की विरासत हमसे समय-समय पर साझा करते रहते हैं। इस पीढ़ी ने अपना सारा जीवन साहित्य सेवा में अर्पित कर दिया। वे निश्चित ही हमारे आदर्श हैं और प्रेरणा स्त्रोत हैं। आज प्रस्तुत हैं एक भावप्रवण गीत – शब्द नहीं हैं शेष…।)
साप्ताहिक स्तम्भ – लेखनी सुमित्र की # 120 – गीत – शब्द नहीं हैं शेष…
कहने को नहीं विशेष
शब्द नहीं हैं शेष।
तोड़ दिये शंका के ताले
प्रश्नों को उत्तर दे डाले
सींचा हृदय प्रदेश।
जो वश में था सो कर डाला
शुभ शब्दों की सौंपी माला
बदल गया परिवेश ।
आखिर कब तक सहन करूँ मैं
इच्छाओं का हवन करूँ मैं
कब तक सहूँ कलेश।
कहने को नहीं विशेष
शब्द नहीं हैं शेष।
© डॉ राजकुमार “सुमित्र”
112 सर्राफा वार्ड, सिटी कोतवाली के पीछे चुन्नीलाल का बाड़ा, जबलपुर, मध्य प्रदेश
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈