(प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक साहित्य ” में हम श्री विवेक जी की चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, मुख्यअभियंता सिविल (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी , जबलपुर ) से सेवानिवृत्त हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। आपको वैचारिक व सामाजिक लेखन हेतु अनेक पुरस्कारो से सम्मानित किया जा चुका है।आज प्रस्तुत है एक विचारणीय आलेख – ब्रेन ड्रेन बुरा भी नही रहा।)
आलेख – ब्रेन ड्रेन बुरा भी नही रहा
हमारे देश की सबसे बड़ी शक्ति हमारे युवा हैं। अक्सर ब्रेन ड्रेन की शिकायत हमारे सुशिक्षित युवाओं से की जाती है, किंतु सच तो यह है कि आज यदि विदेशों में भारतीय डायसपोरा अपनी सकारात्मक पहचान दर्ज कर रहा है तो इसकी क्रेडिट देश की इन्ही विदेशो में बसी युवा शक्ति को है। आज अमेरिका की सिलिकन वैली की पहचान भारतीय साफ्ट वेयर इंजीनियर्स से ही है। अनेक देशों के राजनेता, बिजनेस टायकून भारत मूल के हैं, ये सब इसलिए क्योंकि समय पर इन युवाओं ने विदेश की राह पकड़ी और वहां अपना सकारात्मक योगदान दिया है।
दूसरी ओर देश के भीतर देश के नव निर्माण में, संस्कारों को पुनर्स्थापित करते युवा महत्वपूर्ण हैं। फिल्में, वेब सीरीज प्लेटफार्म हमारे युवाओं को प्रभावित करते हैं, किंतु गलती से इन के निर्माण का उद्योग उन पूंजीपति प्रोड्यूसरस के हाथों में चला गया है जो वैचारिक रूप से दिग्भ्रमित हैं। वे भारतीय सांस्कतिक मूल्यों की उपेक्षा कर निहित उद्देश्य के लिए इस माध्यम का उपयोग कर रहे हैं। ज्यादातर वेब सीरीज सेक्स, हिंसा, युवाओं के नैतिक पतन, अश्लीलता के गिर्द बनती दिख रही है। तुर्रा यह कि इसे यथार्थ कहा जाता है। हमारी युवा शक्ति को इस क्षेत्र में
सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित डिजिटल फिल्मों के प्रोडक्शन पर ध्यान देना होगा, क्योंकि ये फिल्में, विश्व में भारत का समय सापेक्ष अभिलेख भी बनती हैं, जो युवा इन फिल्मों में अपना नायक ढूंढते हैं उन्हे अनुकरणीय कथा दिखाना आवश्यक है।
कभी आजादी का प्रतीक रही खादी आज फैशन का सिंबॉल बन चुकी है फैशन उद्योग ने खादी को उत्साह से अपनाया है इसी के चलते अब हमारे बुनकरों के द्वारा खादी का वस्त्र चटकीले रंगों में भी उपलब्ध किया जा रहा है वस्त्र उद्योग के कुछ बड़े ब्रांड खादी को विदेशों में मार्केट करने में जुटे हुए हैं तो दूसरी ओर अनेक भारतीय डिजाइनर खादी फैब्रिक से विवाह परिधानों की पूरी रेंज ही उपलब्ध करवा रहे हैं . युवा इस क्षेत्र में भी अपने लिए महत्वपूर्ण भूमिका बना सकते हैं।
आजीविका के लिए शासन का मुंह देखने की अपेक्षा आत्म विश्वास के साथ, स्वाबलंबन को अपना हथियार बनाए तो युवा शक्ति जिस क्षेत्र में चाहे अपनी पहचान स्थापित कर सकती है। सरकारें हर संभव मदद हेतु अनेकानेक योजनाओं के साथ सहयोग के लिए तत्पर हैं।
हमेशा युवा पीढ़ी को कोसने से बेहतर है की जनरेशन गैप को समझ कर युवाओं का साथ दिया जावे, उनकी हर संभव मदद, दिशा दर्शन किया जाए। नई पीढ़ी बहुत कुछ क्षमता रखती है, उसका सही दोहन हो।
© विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’
न्यूजर्सी , यू एस ए
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈