श्री एस के कपूर “श्री हंस”
(बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री एस के कपूर “श्री हंस” जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। आप कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं। साहित्य एवं सामाजिक सेवाओं में आपका विशेष योगदान हैं। आप प्रत्येक शनिवार श्री एस के कपूर जी की रचना आत्मसात कर सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपका एक भावप्रवण मुक्तक ।।बहुत कुछ करके जाना है बस चार दिन की कहानी जिंदगानी में।।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ “श्री हंस” साहित्य # 53 ☆
☆ मुक्तक ☆ ।।बहुत कुछ करके जाना है बस चार दिन की कहानी जिंदगानी में।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆
[1]
सपनों का टूटना और बनना ही तो जिंदगानी है।
ख्वाबों का बिखरना संवरना ही तो निशानी है।।
हमारे अंतरद्वंद आत्मविश्वास की परीक्षा है यह।
प्रभु की कितनी ही बेमिसाल कारस्तानी है।।
[2]
जिंदगी चार दिन की बस जैसे आनी जानी है।
मतकरो काम हो जिससे किसी को परेशानी है।।
जिंदगी आजमाती है हर तरह के इम्तिहान से।
यूं ही नहीं बनती दुनिया किसी की दीवानी है।।
[3]
समय की धारा में यह उम्र यूं बह जाती है।
करते अच्छा काम तो यादगार कहलाती है।।
हाथ की लकीरों नहीं अपने हाथ इसे बनाना।
यूं ही चले गए तो इक कसक सी रह जाती है।।
[4]
जाना तो है एक दिन पर निशान छोड़कर जाना।
हरेक पासअपने दिल का मेहमान छोड़कर जाना।।
बना कर जाना एक कोना हर दिल दिमाग में।
कुछ और नहीं अपनी पहचान छोड़कर जाना।।
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© एस के कपूर “श्री हंस”
बरेली
मोब – 9897071046, 8218685464