श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है “मनोज के दोहे”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 68 – मनोज के दोहे ☆
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फसल खड़ी है खेत में, चिंता करे किसान।
पल-पल आँख निहारती, बैठा हुआ मचान ।।
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सोना उगता खेत में, कृषक बने धनवान।
श्रम की सुखद शिला यही, मिले सदा सम्मान।।
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कृषक बदलता जा रहा, ट्रैक्टर कृषि संयंत्र।
इन उपकरणों से रचा, जागृति का नवमंत्र।।
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कुसुम खिलें जब बाग में, बहती नवल बयार।
मुग्ध हो रहे लोग सब, बाग हुए गुलजार ।।
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बसंत ऋतु की पाहुनी, स्वागत करें मनोज।
बाग बगीचे खेत में, दिखता चहुँ दिश ओज।।
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© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
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