श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा “रात का चौकीदार” महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं की “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज प्रस्तुत है होली पर्व पर आपकी एक भावप्रवण कविता – “कहाँ आज प्रह्लाद…”।)
☆ तन्मय साहित्य #172 ☆
☆ होली पर्व विशेष – कहाँ आज प्रह्लाद… ☆
रंगभरी इस दुनियाँ में
अनगिन बदरंगी चेहरे भी हैं
नहीं सुहाता अच्छा उनको
कानों से वे बहरे भी हैं।
नीला, हरा, गुलाबी, पीला,
नहीं रंग केशरिया भाए
खूनी रंगों से रिश्ते,
कब धवल रंग में ठहरे भी हैं।
कहाँ आज प्रह्लाद,
चतुर्दिश हैं हिरण्यकश्यप ही सारे
नरसिंहों के शौर्य पराक्रम,
पर शैतानी पहरे भी हैं।
अमराई की मोहक गंध
न है फगुनाहट अब फागुन में
प्रतिबंधित हैं छंद ,
गीत पर वार हुए वे गहरे भी हैं।
प्रेम-प्यार, सद्भाव प्रीत की रीत,
अतीत की बात पुरानी
सूख रही सरिताएँ तो
स्वाभाविक विचलित लहरें भी हैं।
© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश, अलीगढ उत्तरप्रदेश
मो. 9893266014
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈