श्री जय प्रकाश पाण्डेय

(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके  व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में  सँजो रखा है। आज प्रस्तुत है आपका एक व्यंग्य – “पेपर लीक मामले में डील…”।)

☆ व्यंग्य # 182 ☆ “पेपर लीक मामले में डील…” ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆

पेपर लीक होने के बढ़ते मामले चिंता का विषय बने हुए हैं। इसके कारण कई मुख्यमंत्री और कुछ बड़े लोग बैकफुट पर आ जाते हैं। गांव के टपकती पाठशाला में उनकी पढ़ाई हुई थी, उन्होंने बचपन में पाठशाला के रिसते खपरों से लीकेज की कला सीख ली थी। पढ़ाई पूरी करके ‘लीकेज की राजनीति’ विषय में उनकी पीएचडी भी पूरी हो गई थी, इसलिए वे लीकेज की राजनीति से घबराते नहीं थे और प्रजातंत्र में लीकेज की राजनीति को प्राकृतिक विपदा जैसा मानते थे। हर पार्टी में लीकेज पकड़ने वालों का बड़ा महत्व होता है, तो चूंकि ये लीकेज की राजनीति के डाक्टरेट थे इसलिए इनकी पार्टी में इनके अच्छे जलवे थे। ‘लीक’ से हटकर अपनी अलग तरह की राजनीतिक चाल चलने में वे माहिर भी थे।

उनके दिन तब फिरे जब पूरे माहौल में लीकेज बबंडर बनके छा गया। परीक्षाओं के समय पर्चा लीक होने का मौसम गरमाया, डाटा लीक होने के किस्सों ने लोगों का मन भरमाया, शहरों में पाईप लाईन लीकेज की घटनाओं से हाहाकार मचा, चुनाव की तारीख लीक होने से मीडिया गरमाया। जब लीकेज की समस्या विकराल रूप लेने लगी तो उनकी पूछ परख ज्यादा बढ़ गई। प्रजातंत्र में लीकेज विषय पर की गई पीएचडी के जलवे और बढ़ गए और उन्हें गोपनीय विभाग (लीकेज अनुभाग) का मंत्री का पद मिल गया। केन्द्र में महत्वपूर्ण पद जिसमें पिछली सरकार के लूपहोल, रिसाव, लीकेज को ढूंढने का काम था और ताजे लीकेज घटनाक्रम में तीखी नजर रखनी थी।

दिनों दिन लीकेज विभाग का महत्व बढ़ने लगा। मंत्री जी लीकेज की राजनीति के खिलाड़ी बन गए थे। परीक्षाओं के पेपर धड़ाधड़ लीक करा दिए गए। जब पत्रकारों ने मंत्री जी से पर्चा लीक होने संबंधी सवाल किये तो मंत्री जी ने पत्रकारों को टालने के लिए तरह-तरह के न समझ आने वाले जवाबों की बरसात कर दी।  कहने लगे – लीकेज का प्रॉब्लम सब जगह संक्रामक बीमारी की तरह फैल गया है, आपको याद नहीं है क्या अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डाटा लीकेज का मामला। आनलाईन लीकेज से डरकर चीन ने आनलाईन हंसी पर रोक लगा दी है। जहां तक परीक्षा के पेपर लीक होने का मामला है तो आप लोग कहेंगे तो अब वाटरप्रूफ पेपर छपवाने के आदेश कर देते हैं। मंत्री जी ने सोशल मीडिया पर लीक हो रहे मामलों पर चिंता व्यक्त की और मीडिया वालों से सहयोग की अपील की। प्रजातंत्र में टपका की समस्या पर गहन विचार विमर्श करते हुए पत्रकारों को बताया कि पिछली सरकार के लीकेज इतने अधिक पकड़ में आये हैं कि रिसाव रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। पिछली सरकार के पीडब्ल्यूडी विभाग की गड़बड़ी और भ्रष्टाचार से सरकारी क्वार्टरों में टपका, सीपेज, लीकेज के केस ज्यादा दर्ज हुए हैं।

नगर निगमों की पाइप लाइन में रोज बढ़ते लीकेज की समस्या पर विपक्ष जिम्मेदार है विपक्षी लोग नहीं चाहते कि जनता को रोज पानी मिले।

मीडिया वालों से हाथ जोड़कर मंत्री जी ने निवेदन किया कि हमारी पार्टी और हमारे मंत्री टपके और लीकेज की राजनीति नहीं करते, क्योंकि हमारे पास पर्याप्त जांच एजेंसियां और कोर्ट के खास लोग हैं, इसलिए जो हुआ तो हुआ आप लोग लीकेज वाली बात से संबंधित सवाल अब हमसे न पूछें नहीं तो आप सबकी आंखों में लीकेज की समस्या बढ़ सकती है।

© जय प्रकाश पाण्डेय

416 – एच, जय नगर, आई बी एम आफिस के पास जबलपुर – 482002  मोबाइल 9977318765

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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