श्री राकेश कुमार
(श्री राकेश कुमार जी भारतीय स्टेट बैंक से 37 वर्ष सेवा के उपरांत वरिष्ठ अधिकारी के पद पर मुंबई से 2016 में सेवानिवृत। बैंक की सेवा में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान के विभिन्न शहरों और वहाँ की संस्कृति को करीब से देखने का अवसर मिला। उनके आत्मकथ्य स्वरुप – “संभवतः मेरी रचनाएँ मेरी स्मृतियों और अनुभवों का लेखा जोखा है।” आज प्रस्तुत है आलेख की शृंखला – “देश -परदेश ” की अगली कड़ी।)
☆ आलेख # 33 ☆ देश-परदेश – हमारा गुरुद्वारा ☆ श्री राकेश कुमार ☆
आज विदेश में प्रातः भ्रमण के समय एक गुरुद्वारे के दर्शन हो गए। हमारी खुशी का ठिकाना ना रहा, मानो कोई साक्षात भगवान के दर्शन हो गए।
करीब बीस एकड़ भूमि में बने गुरुद्वारे में प्रवेश किया, तो वहां एकदम शांति थी। छोटे से कस्बे मिलिस जिला मैसाचुसेट्स जो कि अमेरिका के पूर्वी भाग में स्थित हैं। आस पास लोगों के घर हैं, कोई भारतीय निवासी भी नहीं दिख रहा था।
एक अंग्रेज़ सी दिखने वाली महिला ने अपना भारतीय मूल का नाम जिसमें कौर भी शामिल था, परिचय दिया। वो मूलतः फ्रांस देश से हैं।
गुरुग्रंथ साहब को सम्मान पूर्वक माथा टेकने के पश्चात, महिला से थोड़ी देर गुरुद्वारे की जानकारी ली।
गुरुद्वारे का संबंध “मेरिकन सिख” से हैं। इस देश में करीब सौ वर्ष पूर्व कुछ सिख परिवार इस देश में रच बस गए हैं। हमारी जानकारी में तो इंग्लैंड, कनाडा और अफगानिस्तान में ही सिख समुदाय के लोग बहुतायत से रहते है। अमेरिका में भी सात लाख के करीब सिख बंधु रहते हैं।
ये लोग योग और कुंडलिनी से संबंधित ऑनलाइन शिक्षा देते हैं। वो बात अलग है, कुछ फर्जी प्रकार के कुंडलिनी योग भी अमेरिका में पैसा कमाने का साधन बने हुए हैं।
© श्री राकेश कुमार
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