श्री जय प्रकाश पाण्डेय
(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में सँजो रखा है। आज प्रस्तुत है आपका एक संस्मरण – “महान चित्रकार आशीष स्वामी…”।)
☆ संस्मरण — “महान चित्रकार आशीष स्वामी…” ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆
उमरिया जैसी छोटी जगह से उठकर शान्ति निकेतन, जामिया मिलिया दिल्ली, फिल्म इंडस्ट्री मुंबई में अपना डंका बजाने वाले ख्यातिलब्ध चित्रकार, चिंतक, आशीष स्वामी जी ये दुनिया छोड़कर चले गए। कोरोना उन्हें लील गया। मैंने एसबीआई ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान उमरिया में तीन साल से अधिक डायरेक्टर के रूप में काम किया। मेरे कार्यकाल के दौरान उमरिया जिले के दूरदराज के जंगलों के बीच से आये गरीबी रेखा परिवार के करीब तीन हजार युवक/युवतियों का साफ्ट स्किल डेवलपमेंट और हार्ड स्किल डेवलपमेंट किया गया और उनकी पसंद के अनुसार रोजगार से लगाया गया। भारत सरकार ने उमरिया आरसेटी के डायरेक्टर को दिल्ली में बेस्ट डायरेक्टर के अवार्ड से सम्मानित भी किया था।
आरसेटी में ट्रेनिंग लेने आये बच्चों में सकारात्मक सोच भरने और उनकी संस्कृति की अलख जगाने में श्री आशीष स्वामी बड़ी मेहनत करते थे। नये नये आइडिया देकर उन्हें कुछ नया काम करने की प्रेरणा देते थे। क्या भूलूं? क्या याद करूं?
हां एक खास इवेंट आप वीडियो में देखिए,जो हम लोगों ने जनगण तस्वीर खाना लोढ़ा में आयोजित किया था, यूट्यूब में दुनिया भर के लोगों ने जब इस वीडियो को देखा तो दंग रह गए। ऐसा दुनिया में पहली बार हुआ था लोढ़ा में।
जो एक प्रयोग के तौर पर किया गया था, दूर दराज के जंगलों के बीच से प्रशिक्षण के लिए आये गरीब आदिवासी बच्चों द्वारा।
यूं तोआरसेटी में लगातार अलग-अलग तरह के ट्रेड की ट्रेनिंग चलतीं रहतीं थीं, पर बीच-बीच में किसी त्यौहार या अन्य कारणों से एक दिन का जब अवकाश घोषित होता था, तो बच्चों में सकारात्मक सोच जगाने और उनके अंदर कला, संस्कृति की अलख जगाने जैसे इवेंट संस्थान में आयोजित किए जाते थे। उमरिया जिले के दूरदराज से आये 25 आदिवासी बच्चों के दिलों में हमने और ख्यातिलब्ध चित्रकार आशीष स्वामी जी ने झांक कर देखा, और उन्हें उस छुट्टी में कुछ नया करने उकसाया, उत्साहित किया। फिर उन बच्चों ने ऐसा कुछ कर दिखाया जो दुनिया में कहीं नहीं हुआ था। दुनिया भर के लोग यूट्यूब में वीडियो देखकर दंग रह गए। हर्र लगे न फिटकरी, रंग चोखा वाली कहावत के तहत एक पैसा खर्च नहीं हुआ और बड़ा काम हुआ। आप जानते हैं कि खेतों में पक्षी और जानवर खेती को बड़ा नुक़सान पहुंचाते हैं, देखभाल करने वाला कोई होता नहीं, किसान परेशान रहता है। इस समस्या से निजात पाने के लिए सब बच्चों ने तय किया कि आज छुट्टी के दिन किसानों के लिए अलग अलग तरह के मुफ्त के पहरेदार कागभगोड़ा बनाएंगे। उमरिया से थोड़ी दूर कटनी रोड पर चित्रकार आशीष स्वामी का जनगण तस्वीरखाना कला-संस्कृति आश्रम में तरह-तरह के बिझूका बनाने का वर्कशॉप लगाना तय हुआ,सब चल पड़े। आसपास के जंगल से घांस-फूस बटोरी गयी, बांस के टुकड़े बटोरे गये, रद्दी अखबार ढूंढे गये, फिर हर बच्चे को कागभगोड़ा बनाने के आइडिया दिए गए। जुनून जगा, सब काम में लग गए, अपने आप टीम बन गई और टीमवर्क चालू…। शाम तक ऐतिहासिक काम हो गया था, मीडिया वालों को खबर लगी तो दौड़े दौड़े आये, कवरेज किया, दूसरे दिन बच्चों के इस कार्य को अखबारों में खूब सराहना मिली। अब आप उपरोक्त वीडिओ देखकर बताईए, आपको कैसा लगा। और महान कलाकार आशीष स्वामी जी को दीजिए श्रद्धांजलि…
© जय प्रकाश पाण्डेय
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