श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है “मनोज के दोहे…”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 82 – मनोज के दोहे… ☆
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1 साक्षी
सनकी प्रेमी दे गया, सबके मन को दाह।
दृश्य-कैमरा सामने, साक्षी बनी गवाह।
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2 शृंगार
नारी मन शृंगार का, पौरुष पुरुष प्रधान।
दोनों के ही मेल से, रिश्तों का सम्मान।।
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3 पाणिग्रहण
संस्कृति में पाणिग्रहण,नव जीवन अध्याय।
शुभाशीष देते सभी, होते देव सहाय।।
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4 वेदी
अग्निहोत्र वेदी सजी, करें हवन मिल लोग।
ईश्वर को नैवेद्य फिर, सबको मिलता भोग।।
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5 विवाह
मौसम दिखे विवाह का, सज-धज निकलें लोग।
मंगलकारी कामना, उपहारों का योग ।।
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© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
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