डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं “पितृ दिवस पर विशेष – पिता धरा आकाश हैं…”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 187 – साहित्य निकुंज ☆
☆ पितृ दिवस पर विशेष – पिता धरा आकाश हैं ☆
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पापा मेरे साथ हैं, हूँ मैं बड़ी महान।
साहित्यिक आकाश में, मिली उन्हें पहचान।।
पापा मेरी प्रेरणा, पापा मेरी शान।
पापा से हम सीखते, जीवन का हर ज्ञान।।
पिता धरा आकाश हैं, पिता हमारी छाँव।
मुश्किल क्षण में पिता ने, पार लगाई नाव।।
पिता से जीवन मिलता, पिता खुशी का साज।
आए दौड़े वो अभी, बच्चों की आवाज।।
सुमित्र हैं मेरे पिता, साहित्यिक वरदान।
लिखा आपने बहुत कुछ, किया बड़ा अवदान।।
दिए हमें ही आपने, बड़े ही संस्कार।
होली दिवाली साथ ही, मना रहे त्योहार।।
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© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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