श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’

(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा  रात  का चौकीदार”   महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं की  “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ  समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता  “मानसून की पहली बूंदे)

☆  तन्मय साहित्य  #188 ☆

☆ मानसून की पहली बूंदे☆ श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ ☆

मानसून की पहली बूंदे 

धरती पर आई

महकी सोंधी खुशबू

खुशियाँ जन मन में छाई।

 

 बड़े दिनों के बाद

 सुखद शीतल झोंके आए

 पशु पक्षी वनचर विभोर

 मन ही मन हरसाये,

      बजी बाँसुरी ग्वाले की

      बछड़े ने हाँक लगाई।…..

 

 ताल तलैया पनघट

 सरिताओं के पेट भरे

 पावस की बौछारें

 प्रेमी जनों के ताप हरे,

      गाँव गली पगडंडी में

      बूंदों ने धूम मचाई।……

 

 उम्मीदों के बीज

 चले बोने किसान खेतों में

 पुलकित है नव युगल

 प्रीत की बातें संकेतों में,

       कुहुक उठी कोकिला

       गूँजने लगे गीत अमराई।

       मानसून की पहली बूंदें

       धरती पर आई..

☆ ☆ ☆ ☆ ☆

© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय

जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश, अलीगढ उत्तरप्रदेश  

मो. 9893266014

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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