डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं “भावना के दोहे…”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 189 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे ☆
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मना रहे इस वर्ष में, दो -दो सावन माह।
बम भोले का नाम ले, नाचे झूमे राह।।
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सावन में सखियाँ कहे, मन भावन त्योहार।
खुशियाँ साजन संग हैं, मिले पिया का प्यार।।
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झड़ी प्यार की बरसती, झूमे धरती आज।
हमको तो होने लगा, धरती पर है नाज़।।
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बादल कैसे घुमड़ते, फैले श्यामल रंग।
लगता है जैसे अभी, लग जायेंगे अंग।।
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घिरे मेघ अब कह रहे, सुनो गीत मल्हार।
बरसेंगे हम झूम के, नाचेगा संसार।।
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© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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