श्री एस के कपूर “श्री हंस”
☆ गज़ल ☆ ।। जाना नहीं दोस्त मेरे ।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆
☆ क़ाफिया – आन ☆ रदीफ – अभी बाकी है ☆
[1]
हो गए साठ साल के पर जान अभी बाकी है।
जिंदगी का कुछ इम्तिहान अभी बाकी है।।
[2]
बाल सफेद तर्जुबे से हो चुके कब के हमारे।
पर अंदर तो दिल नादान अभी बाकी है।।
[3]
मिले बहुत चाहने वाले जिंदगी के सफर में।
पर मिलना सच्चा कद्रदान तो अभी बाकी है।।
[4]
मिले बहुत से ही जख्म इस लंबे अरसे में।
भर चुके लेकिन कुछ निशान अभी बाकी है।।
[5]
माना कि कहानी बनने के दिन हैं करीब हमारे।
ठहरे नहीं ऊपरवाले का फरमान अभी बाकी है।।
[6]
जाना नहीं दोस्त मेरे तुम हमें छोड़ कर अभी।
देना तुम्हारा कुछ तो सामान अभी बाकी है।।
[7]
पूरे कर लिए सारे मर्ज फर्ज कर्ज जिंदगी के।
लेकिन दुनियादारी का लगान अभी बाकी है।।
[8]
देख ली हमनें सारी दुनिया इस उम्र में ही।
फिर भी समझने को यह जहानअभी बाकी है।।
[9]
हंस बिता दी तमाम उम्र इस भाग दौड़ में ही।
अब कुछ वक्त बस इत्मीनान अभी बाकी है।।
☆
© एस के कपूर “श्री हंस”
बरेली
मोब – 9897071046, 8218685464
Bahut Khoob