श्री सुरेश पटवा

(श्री सुरेश पटवा जी  भारतीय स्टेट बैंक से  सहायक महाप्रबंधक पद से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं और स्वतंत्र लेखन में व्यस्त हैं। आपकी प्रिय विधा साहित्य, दर्शन, इतिहास, पर्यटन आदि हैं। आपकी पुस्तकों  स्त्री-पुरुष “गुलामी की कहानी, पंचमढ़ी की कहानी, नर्मदा : सौंदर्य, समृद्धि और वैराग्य की  (नर्मदा घाटी का इतिहास) एवं  तलवार की धार को सारे विश्व में पाठकों से अपार स्नेह व  प्रतिसाद मिला है। श्री सुरेश पटवा जी  ‘आतिश’ उपनाम से गज़लें भी लिखते हैं ।प्रस्तुत है आपका साप्ताहिक स्तम्भ आतिश का तरकशआज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण ग़ज़ल तासीरे इश्क़ सबसे अलहदा…”)

? ग़ज़ल # 83 – “तासीरे इश्क़ सबसे अलहदा…” ☆ श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’ ?

हमको बताए कोई कि होता क्या इश्क़ है।

जो दिल दिमाग़ देह पर छाए वो इश्क़ है।

जो बदन से अक़्ल को मिला वो हवस है,

जो रूह को  रूह से  मिला  वो इश्क़ है।

एक  समसनी  महसूस होती  रगे जाँ में,

जो तेरी  हस्ती को  भुला दे वो इश्क़ है।

महबूब  ना  नज़दीक  हों  ना  दूर हों,

यादों में रखकर जान लुटाए वो इश्क़ है।

तासीरे इश्क़ सबसे अलहदा  आतिश की,

दोनो जहाँ मुहब्बत में लुटाए वो इश्क़ है।

© श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’

भोपाल, मध्य प्रदेश

≈ सम्पादक श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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