डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से  प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं “भावना के दोहे।) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 190 – साहित्य निकुंज ☆

☆ भावना के दोहे ☆

मन में कबसे चल रहे, कितने झंझावात।

कहा अभी तक कुछ नहीं, होगा कभी प्रभात।।

मन भावन की भावना, यही हमारे भाव।

नहीं हमारे पास है, भावों का आभाव।।

देख रहे  बुद्ध इन्हें, करते नहीं कराह।

लेते अंतिम वो विदा, बीच छोड़ गए राह।।

यशोधरा कहती नहीं, नहीं कभी वो क्रुद्ध।

उसने त्याग बहुत  किया, आचरण था बुद्ध।।

तेरे मेरे प्यार की, चमक  फैलती साफ।

कहा चांद ने आज तो, करो चांदनी माफ।।

© डॉ भावना शुक्ल

सहसंपादक… प्राची

प्रतीक लॉरेल, J-1504, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब. 9278720311 ईमेल : [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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