श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “# जन्म-मरण… #”

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 139 ☆

☆ # जन्म-मरण… #

जब जीवन इक सौगात है

फिर गमगीन क्यों जमाना है

खुशी और गम का क्या है

इन्हें आना और जाना है

 

खिलें हुए फूल

हर मन को कितना भाते हैं

भीनी भीनी खुशबू से

हर तन को कितना लुभाते हैं

इन फूलों का क्या है

बहार में खिलना

पतझड़ में झड़ जाना है

 

सावन में अंबर पर

कितने बादल छाते हैं

धरती की प्यास बुझाने

कितना जल बरसाते हैं

इन बादलों का क्या है

सावन में आना

बरस कर चले जाना है

 

भास्कर कण कण में

प्राण भर देता है

शशि, हर तारे में

अपना रूप धर लेता है

रवि और चंद्रमा का क्या है

हर रोज निकलना

और डूब जाना है

 

जीवन तो सांसों का

एक अद्भभुत खेल है

मृत्यु तो अटल है

पर जीवन से कहां मेल है

इस जनम -मरण का क्या है

एक का आना तो

दूसरे का जाना है /

© श्याम खापर्डे

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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