डॉ राकेश ‘ चक्र

(हिंदी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर डॉ. राकेश ‘चक्र’ जी  की अब तक 131मौलिक पुस्तकें (बाल साहित्य व प्रौढ़ साहित्य) तथा लगभग तीन दर्जन साझा – संग्रह प्रकाशित तथा कई पुस्तकें प्रकाशनाधीन। जिनमें 7 दर्जन के आसपास बाल साहित्य की पुस्तकें हैं। कई कृतियां पंजाबी, उड़िया, तेलुगु, अंग्रेजी आदि भाषाओँ में अनूदित । कई सम्मान/पुरस्कारों  से  सम्मानित/अलंकृत। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा बाल साहित्य के लिए दिए जाने वाले सर्वोच्च सम्मान ‘बाल साहित्य श्री सम्मान’ और उत्तर प्रदेश सरकार के हिंदी संस्थान द्वारा बाल साहित्य की दीर्घकालीन सेवाओं के लिए दिए जाने वाले सर्वोच्च सम्मान ‘बाल साहित्य भारती’ सम्मान, अमृत लाल नागर सम्मान, बाबू श्याम सुंदर दास सम्मान तथा उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी संस्थान के सर्वोच्च सम्मान सुमित्रानंदन पंत, उत्तर प्रदेश रत्न सम्मान सहित पाँच दर्जन से अधिक प्रतिष्ठित साहित्यिक एवं गैर साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित एवं पुरुस्कृत। आदरणीय डॉ राकेश चक्र जी के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें 👉 संक्षिप्त परिचय – डॉ. राकेश ‘चक्र’ जी।

आप  “साप्ताहिक स्तम्भ – समय चक्र” के माध्यम से  उनका साहित्य आत्मसात कर सकेंगे।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – समय चक्र – # 169 ☆

☆ बाल कविता – परी, चाँद की सुखद कहानी ☆ डॉ राकेश ‘चक्र’ 

दादी कहें मुझे शहजादी

    नाम मेरा सुमन रानी।

दादी से मैं रोज ही सुनती

   परी , चाँद की सुखद कहानी।।

 

सपने में शहजादी बनकर

   चली सैर को नभ में मैं।

परियों से मिल करी दोस्ती

   खुशियाँ सबमें भर दूँ मैं।।

 

चंदा से मैं बातें करने

   पहुँची चंद्र लोक में मैं।

क्या – क्या करते चंदा मामा

   आज पूछती तुमसे मैं।।

 

रोज – रोज ही घट बढ़ जाते

   और कभी तो तुम छिप जाते।

दूज चाँद पर बालक बनते

    पूनम को चाँदी बरसाते।।

 

कहा उन्हें समझाकर मैंने

   सदा रोज पूनम से निकलो।

घटना – बढ़ना बंद करो तुम

 नहीं कभी तुम पथ से फिसलो।।

 

सपना टूटा जगी खुशी से

       नभ से चाँदी बरस रही थी।

 चंदा को मैं मामा कहकर

      फूलों – सी मैं सरस् रही थी।।

 

© डॉ राकेश चक्र

(एमडी,एक्यूप्रेशर एवं योग विशेषज्ञ)

90 बी, शिवपुरी, मुरादाबाद 244001 उ.प्र.  मो.  9456201857

[email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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