डॉ सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
(अग्रज एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी जीवन से जुड़ी घटनाओं और स्मृतियों को इतनी सहजता से लिख देते हैं कि ऐसा लगता ही नहीं है कि हम उनका साहित्य पढ़ रहे हैं। अपितु यह लगता है कि सब कुछ चलचित्र की भांति देख सुन रहे हैं। आप प्रत्येक बुधवार को डॉ सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’जी की रचनाएँ पढ़ सकेंगे। आज के साप्ताहिक स्तम्भ “तन्मय साहित्य ” में प्रस्तुत है अग्रज डॉ सुरेश कुशवाहा जी द्वारा रचित किशोर मन की एक नवीन कविता मिलकर आज समीक्षा कर लें…….”। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – तन्मय साहित्य – # 29☆
☆ मिलकर आज समीक्षा कर लें…… ☆
अच्छे दिन आने वाले हैं
थोड़ी और प्रतीक्षा कर लें
तबतक पढ़ें-लिखें हम मिलकर
अपनी पूरी शिक्षा कर लें।।
अच्छे दिन तब ही आएंगे
अच्छी बातें अपनाएंगे
नहीं भरोसा रहा किसी पर
हम ही अच्छे दिन लायेंगे,
होंगे सफल इरादों में हम
मन में ये दृढ़ इच्छा कर लें……।
झांसे में न किसी के आएं
सब्जबाग जो हमें दिखाए
मुफ्त प्रलोभन में उलझा कर
उल्टे-सीधे स्वांग रचाए,
जांच-परख कर अब हम उनकी
पहले सही परीक्षा कर लें……।
स्वयं हमें आगे बढ़ना है
झंझावातों से लड़ना है
अपने ही पदचिन्हों से अब
नई – नई राहें गढ़ना है,
रोजी रोटी अब दूजों से
बन याचक ना भिक्षा पर लें…..।
समझ रहे जो हमें खिलौने
पंगत वाले पत्तल – दोने
अब न शिकंजे में आयेंगे
हमें न समझे आधे-पौने,
समयचक्र की गति पहचाने
मिलकर आज समीक्षा कर लें…..।
© डॉ सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
जबलपुर, मध्यप्रदेश
मो. 989326601