श्री आशिष मुळे
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ दिन-रात # 8 ☆
☆ कविता ☆ “कलाकार…” ☆ श्री आशिष मुळे ☆
हाँ मै एक कलाकार हूँ
एक बगीचे की तरह हूँ
जिसमे फूल भी हैं और कांटे भी हैं
तुम्हें जो चुभे वो चुनके देता हूँ
हाँ मै एक कलाकार हूं..
वैसे तो एक आम इंसान हूँ
वो ही रोटी खाता हूँ
वही कपड़ा पहेंता हूँ
रोटी खाकर भी भूखा हूँ
कपड़ा पहनकर भी निर्वस्त्र हूँ
हाँ मै एक कलाकार हूँ …
मेरा अपना कोई रंग नहीं
मेरा अपना कोई ग़म नहीं
तुम्हारे गम में रोता हूँ
रंग में तुम्हारे रंगता हूँ
दिल में तुम्हारे ख़ुशी चाहता हूँ
तुम्हारी आंखों में ख़ुशी पाता हूँ
हाँ मै एक कलाकार हूँ ..
भीतर मेरे भी एक दुनिया है
जो हमेशा बर्बाद है
मगर आबाद तुम्हारी दुनिया चाहता हूँ
खुद एक घायल हूँ
दर्द तुम्हारे समझता हूँ
हाँ मै एक कलाकार हूँ …
© श्री आशिष मुळे
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈