श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी  के साप्ताहिक स्तम्भ  “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है “मनोज के दोहे…”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।

✍ मनोज साहित्य # 91 – मनोज के दोहे… ☆

१ अंकुर

अंकुर निकसे प्रेम का, प्रियतम का आधार।

नेह-बाग में जब उगे, लगे सुखद संसार ।।

२ मंजूषा

प्रेम-मंजूषा ले चली, सजनी-पिय के द्वार।

बाबुल का घर छोड़कर, बसा नवल संसार ।।

३ भंगिमा

भाव-भंगिमा से दिखें, मानव-मन उद्गार।

नवरस रंगों से सजा, अन्तर्मन  शृंगार।।

४ पड़ाव

संयम दृढ़ता धैर्यता, मंजिल तीन पड़ाव ।

मानव उड़े आकाश में, सागर लगे तलाव।।

५ मुलाकात

मुलाकात के क्षण सुखद, मन में रखें सहेज।

स्मृतियाँ पावन बनें, बिछे सुखों की सेज।।

 ©  मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संपर्क – 58 आशीष दीप, उत्तर मिलोनीगंज जबलपुर (मध्य प्रदेश)- 482002

मो  94258 62550

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments