श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी समसामयिक घटना पर आधारित एक भावप्रवण कविता “# लिव-इन और ब्रेक-अप… #”)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 142 ☆
☆ # लिव-इन और ब्रेक-अप… # ☆
महानगर की चकाचौंध में
दो पंछी उड़ रहे थे
कभी-कभी, कहीं-कहीं पर
आपस में जुड़ रहे थे
बार-बार टकराने से
दोनों हिल गये
उनके बेकाबू दिल
आपस में मिल गये
प्यार की सौंधी-सौंधी खुशबू से
सराबोर हुए
बार-बार मिलने को
बेकरार हुए
मल्टीनेशनल कंपनी में
कार्यरत थे
मोटी तनख्वाह के कारण
जीवन में मस्त थे
दोनों लिव-इन-रिलेशनशिप में
रहने लगे
प्यार के समंदर में बहने लगे
कुछ समय जवानी की
रंगीनियों में बीत गया
प्यार का खुमार भी
धीरे-धीरे रीत गया
तब
दोनों के बीच दूरियां बढ़ गई
‘रिलेशनशिप’ इगो की भेंट चढ़ गई
दोनों लड़कर एक दूसरे से
अलग हो गए
प्यार भरे रिश्ते
कहीं खो गए
आजकल लिव-इन और
ब्रेक-अप साथ साथ चल रहे हैं
युवा पीढ़ी के रिश्ते
हर रोज जल रहे हैं
क्या युवा पीढ़ी
विवाह का अर्थ
समझ पायेंगे?
पति-पत्नी के
संबंधों को निभायेंगे ?
या
लिव-इन और ब्रेक-अप के
जाल में फँसते ही जायेंगे ?/
© श्याम खापर्डे
फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो 9425592588
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈